दिसम्बर 21, 2025

मरकज़ुल मआरिफ़, मुम्बई के शिक्षकों और विद्यार्थियों की मौलाना बद्रुददीन अजमल से मुलाक़ात

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मरकज़ुल मआरिफ़, मुम्बई के शिक्षकों और विद्यार्थियों की मौलाना बद्रुददीन अजमल से मुलाक़ात

लेखक: अरशद अंसारी कासमी
छात्र: मरकज़ुल मआरिफ़, मुम्बई

मुंबई: 9 दिसंबर 2025 को मरकज़ुल मआ़रिफ एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर, मुंबई के शिक्षक और विद्यार्थी भारत के प्रसिद्ध और प्रभावशाली व्यवसायी, राजनीतिज्ञ एवं धार्मिक विद्वान मौलाना बद्रुददीन अजमल अल-क़ासमी से मुलाक़ात के उद्देश्य से नागदेवी, मुंबई में स्थित शाफी कैसल में इकठ्ठा हुए। प्रोग्राम की निजा़मत मरकज़ुल मआरिफ़ के प्रिय शिक्षक मुफ्ती जसीमुद्दीन कासमी ने की। बैठक का आरम्भ मौलाना क़मरुल हुसैन की सुरीली तथा प्रभावी तिलावत से हुआ। उसके बाद हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान में मौलाना उमर फारूक़ ने नाते पाक पढ़ी। अरशद अंसारी ने मौलाना बदरुद्दीन अजमल की शान में कविता का व्याख्यान किया।

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मरकज़ुल मआरिफ़ के डायरेक्टर मौलाना मोहम्मद बुरहानुद्दीन क़ासमी ने अपनी आरम्भिक बात में बैठक का उद्देश्य बताया। मौलाना इस्माईल मजाहिरी ने मौलाना बदरुद्दीन अजमल साहेब के दर्दे दिल को झलकाती हुई तहरीर पढ़ी जिसमें विद्वानों के कर्तव्यों को उजागर किया गया और उत्तरदायी व्यक्ति बनने पर उभारा गया था। उसके बाद मौलाना अजमल ने मरकज़ुल मआ़रिफ के विद्यार्थियों के सामने अपने दिल की कुढ़न रखी, एक ज़िम्मेदार और कौ़म के लिए लाभदायक इंसान बनने और अल्लाह से संबंध मज़्बूत करने की तरफ उनका ध्यान आकर्षित किया। मौलाना ने कहा कि इस दौर में उलमा को अपने अंदर क़ौम का दर्द पैदा करने और अपने आप को निखारने की आवश्यकता है। तक़्रीबन ढाई घंटे मौलाना ने विद्वानों के लिए आवश्यक मुद्दों पर बात की और उनकी ज़िंदगी, भविष्य और कर्तव्यों से संबंधित हर पहलू पर खूबसूरती से रौशनी डाली। उसके बाद मौलाना मोहम्मद बुरहानुद्दीन कासमी ने मौलाना अजमल के प्रति अपना हार्दिक आभार व्यक्त किया। आख़िर में मौलाना की दुआ और उसके बाद राजसी दावत पर कार्यक्रम का समापन हुआ।

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