धन्यवाद, बिहार!
मोहम्मद बुरहानुद्दीन क़ासमी
संपादक: ईस्टर्न क्रेसेंट, मुंबई
आज 29 जून 2025 को पटना, बिहार के ऐतिहासिक गांधी मैदान में हमने हिम्मत, एकता और इतिहास का एक अविस्मरणीय दिन देखा। वक़्फ़ बचाओ, दस्तूर बचाओ रैली केवल एक सभा नहीं थी — यह प्रतिरोध की गर्जना थी, हमारे लोगों की अदम्य भावना का जीवंत प्रमाण थी। मेरी जानकारी के अनुसार, यह भारत में वक़्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी, सबसे भावनात्मक और सबसे सशक्त रैली थी।
पूरी सराहना और दिल से धन्यवाद मोहतरम फैसल रहमानी, इमारत-ए-शरिया की उनकी मेहनती टीम और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के मजबूत नेतृत्व को जाता है, जो मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी (अध्यक्ष) और मौलाना फज़्लुर रहीम मुझद्दिदी (महासचिव) की सक्षम देखरेख में हुआ। उनकी ईमानदार मेहनत, बेहतरीन संगठन और निडर नेतृत्व ने इस दिन को हमारे सामूहिक इतिहास का एक ऐतिहासिक अध्याय बना दिया। वे हमारी सबसे जोरदार तालियों और गहरी श्रद्धा के पात्र हैं।
साथ ही, हमें बिहार के बहादुर लोगों को दिल से धन्यवाद और असीम प्रशंसा देनी चाहिए। आप एक जिस्म, एक रूह, एक आवाज़ बनकर उठे। आपने मजबूती से खड़े होकर अपनी एकता की गर्जना से धरती तक को हिला दिया। आपने देश और दुनिया को दिखा दिया कि जब कोई कौम ईमानदारी और एकजुटता से उठती है तो कोई भी अत्याचारी ताकत उन्हें चुप नहीं कर सकती।
वक़्फ़ संशोधन अधिनियम 2025 कोई साधारण कानूनी बदलाव नहीं है; यह भारत में मुसलमानों के अधिकारों, पहचान और धार्मिक स्वतंत्रता पर एक सोची-समझी चोट है। ये हालिया संशोधन, वक़्फ़ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए नहीं हैं, बल्कि कीमती वक़्फ़ संपत्तियों को कॉरपोरेट घरानों को सौंपने का एक व्यवस्थित रास्ता खोलने के लिए हैं। यह भारत में मुस्लिम पहचान पर एक रणनीतिक हमला है।

आज बिहार के बहादुर लोगों ने सत्ता के गलियारों में एक बुलंद और अटल संदेश भेज दिया है: हम झुकेंगे नहीं। हम हार मानेंगे नहीं। हम अन्याय को चुपचाप अपने ऊपर चलने नहीं देंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव की ओर बढ़ रहा है। यह विशाल प्रदर्शन भले ही राज्य में भाजपा की चुनावी संभावनाओं को तुरंत न बदल पाए, लेकिन मौजूदा मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के लिए यह एक चेतावनी है। वे इस गर्जनशील आवाज़ को नज़रअंदाज़ करने का जोखिम नहीं उठा सकते, न ही वे अपने मजबूत मुस्लिम वोट बैंक को खोने का जोखिम ले सकते हैं।
गलती को सुधारने में कभी देर नहीं होती। भारत के मुसलमान ईमानदारी से आशा करते हैं कि केंद्र की भाजपा सरकार अपनी आंखें और दिल खोलेगी, देश के कोने-कोने से उठ रही आवाज़ों को सुनेगी, नफरत की राजनीति का खतरनाक रास्ता छोड़ेगी और वक़्फ़ अधिनियम 1995 और 2013 में किए गए अन्यायपूर्ण संशोधनों को तुरंत वापस लेगी।
भविष्य कुछ भी हो, बिहार के लोगों — आपने पहले ही अपना नाम इतिहास में दर्ज करवा लिया है। आपकी हिम्मत पूरे देश में गूंज रही है। आपने हम सबको गौरवान्वित किया है। आने वाली पीढ़ियां आज गांधी मैदान में दिखाई गई आपकी एकता, आपके रंग और पूरे जोश के साथ संकल्प, और आपकी असाधारण ताकत को याद करेंगी।