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दारूल उलूम देवबंद का एक और महत्वपूर्ण निर्णय

इ सी निव्ज़ डेस्क

लेखक: ताहा जौनपुरी

17-05-2024

_____________

वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मशहूर और धार्मिक शिक्षा के लिए मुसलमानों का विश्वास जीतने वाला, दारूल उलूम देवबंद ने रील और महिलाओं की एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। दारूल उलूम देवबंद के तर्कों का विश्लेषण बाद में करेंगे, लेकिन सबसे पहले देखते हैं कि उत्तराखंड में क्या हुआ है।

हाल ही में, जब श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र, चारधाम यात्रा प्रारंभ हुई, तो कुछ श्रद्धालु वहां ढोल और बाजे के साथ उपस्थित हो गए। कुछ ने वहां पर रील भी बनाई और उसे अपने सोशल नेटवर्किंग साइटों पर पोस्ट कर दिया। अन्य श्रद्धालुओं ने यह योजना बनाई कि शिखर पर जाकर वीडियो बनाकर पोस्ट करेंगे। कुछ लोगों ने इस पर एक्शन लिया और कहा कि सिर्फ मंदिर का ढोल बजेगा। यही नहीं, स्थानीय प्रशासन ने दिशा निर्देश जारी किए, जो नीचे पढ़े जा सकते हैं:

दारूल उलूम देवबंद का एक और महत्वपूर्ण निर्णय

“राज्य में चारधाम यात्रा सुचारू रूप से संचालित की जा रही है, जिसमें सभी राज्यों से काफी अधिक संख्या में तीर्थयात्री दर्शन हेतु आ रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा तीर्थयात्रियों को सुव्यवस्थित रूप से दर्शन कराने हेतु व्यवस्था बनाई गई है। किन्तु, वर्तमान में यह संज्ञान में आया है कि कुछ व्यक्तियों द्वारा मंदिर परिसर में सोशल मीडिया हेतु वीडियोग्राफी / रील्स बनाई जा रही हैं, जिससे उक्त वीडियोग्राफी को देखने हेतु मंदिर परिसर में एक स्थान पर भीड़ एकत्र होने के कारण श्रद्धालुओं को दर्शन करने में असुविधा हो रही है। अतः श्रद्धालुओं की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए चारधामों में मंदिर परिसर की 50 मीटर की परिधि में सोशल मीडिया हेतु वीडियोग्राफी / रील्स बनाना पूर्णतः प्रतिबंधित किया जाना सुनिश्चित करें। कृपया उक्त आदेशों का अनुपालन शीघ्र सुनिश्चित कराने का कष्ट करें।” (राधा रतूड़ी, मुख्य सचिव)

इस दिशा-निर्देश को पढ़ने के बाद आप निश्चित रूप से समझ सकते हैं कि किसी भी जगह के प्रशासन को कभी-कभी लोगों के हित में कुछ अनिवार्य निर्णय लेने होते हैं।

विज्ञान कहता है कि अध्ययन के लिए एकांतता और तन्हाई आवश्यक है, ताकि आपकी बुद्धि तेजी से ज्ञान ले सके और कम समय में अधिक ज्ञान अर्जित कर सके। इसके विपरीत, अगर आप भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र में होंगे, तो अध्ययन सही से नहीं हो पाएगा। यहां छात्र हैं, जो अपना समय ज्ञान अर्जित करने में लगाते हैं। रील और बाहरी लोगों की एंट्री से छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होती थी, इसलिए प्रतिबंध लगाया गया है।

दारूल उलूम देवबंद एक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक केंद्र है। यहां छात्र पूरे देश से आते हैं और अपने परिवार को छोड़कर थोड़े समय के लिए आते हैं, ताकि पढ़कर देश में मानवता, भाईचारा, बंधुता और समानता का संदेश फैला सकें। सम्मान, आदर और प्रेम का उद्देश्य पूरा कर सकें।

विशेष रूप से यह समझना चाहिए कि पूरे विश्व में ऐसी कई ऐतिहासिक जगहें हैं, जहां पर मोबाइल फोन का प्रयोग वर्जित है और उस पर प्रतिबंध लगा है। बहुत सी ऐसी जगहें हैं, जहां पुरुषों की एंट्री निषेध है। बहुत सी ऐसी जगहें हैं, जहां महिलाओं की एंट्री पर प्रतिबंध है। कई जगहें ऐसी हैं, जहां एकांतता और प्राइवेसी के लिए ऐसे निर्णय लिए जाते हैं। इसलिए दारूल उलूम देवबंद ने जो निर्णय लिया है, वह उचित और स्वाभाविक है। इस पर टिप्पणी करने का कोई अर्थ नहीं बनता। बल्कि इतिहास पढ़ना चाहिए और तथ्य को स्वीकार करना चाहिए।

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