आहा बदला ज़माना।

Eastern Crescent
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आहा बदला ज़माना।

मोहम्मद तौक़ीर रहमानी

आहा बदला ज़माना। आहा बदला ज़माना।
सारे पेड़ हटाकर तुम तो, इमारत अब बनाते जाना।

आहा बदला ज़माना। आहा बदला ज़माना।
झुग्गी झोपड़ी वालों से, वादा केवल किये जाना
कठीन समय में उनके तुम, जुमलेबाजी से काम चलाना

आहा बदला ज़माना। आहा बदला ज़माना।
जंगलों को विरान बना कर, वनस्पति से मुक्त कराना
देश के हित में काम तुम, कभी करना ना कराना

आहा बदला ज़माना। आहा बदला ज़माना।
रोग दूर करने के लिए, ढोल एवं प्लेट बजाना
सारी छांव मिटा कर तुम तो,
ग्लोबल वार्मिंग जलवायु, परिवर्तन को गंभीर बनाना

आहा बदला ज़माना। आहा बदला ज़माना।
प्रकृति की सुंदरता और, पर्यावरण को ही न केवल
मानव जीवन के लिए भी, मुसीबतें लाना और बढ़ाना

आहा बदला ज़माना। आहा बदला ज़माना।
पेड़, पौधे तुम सदा लगा कर, सौ रोगों से निजात पाना
हरियाली को उपजाकर, विषाणुओं से मुक्ति पाना

आहा बदला ज़माना। आहा बदला ज़माना।
वन क्षेत्रों के विनाश की सी, मुर्खयता कभी न दर्शाना
सारे बाग उजाड़कर तुम तो, कारखाना अब न बनाना।

(कवि ईस्टर्न क्रिसेंट के उप-संपादक और मरकज़ुल मआ़रीफ़ मुंबई में लेक्चरर हैं।)

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