अल्पसंख्यक वोटों का प्रभावी साबित होना, INDIA गठबंधन की उदासीनता उन्हें विधानसभा चुनाव में महंगी पड़ सकती है

Eastern Crescent
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अल्पसंख्यक वोटों का प्रभावी साबित होना, INDIA गठबंधन की उदासीनता उन्हें विधानसभा चुनाव में महंगी पड़ सकती है

मोहम्मद तौक़ीर रहमानी

*मुंबई, 3 जुलाई 2024* – इस्लाम जिमखाना में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक में महाराष्ट्र डेमोक्रेटिक फोरम (MDF) ने हालिया संसदीय चुनावों के परिणामों और रणनीतियों का विश्लेषण किया। बैठक का मुख्य उद्देश्य अक्टूबर 2024 तक 288 सदस्यों को चुनने के लिए होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों की तैयारी करना था, जिसमें अल्पसंख्यकों के वोट निर्णायक साबित हो सकते हैं।

इस सभा में कई प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता और राजनीतिक नेता शामिल हुए, जिनमें तुषार गांधी, राजनीतिक रणनीतिकार नदीम, शिवसेना के पूर्व विधायक सुभाष देसाई, एनसीपी से एमएलसी विद्या चव्हाण, समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी, इक़रा फाउंडेशन के संस्थापक श्री अब्दुल करीम सालार, मौलाना महमूद दरयाबादी, मौलाना बुरहानुद्दीन क़ासमी और जमात-ए-हिंद के उपाध्यक्ष अमीनुल हसन शामिल थे।

अल्पसंख्यक वोटों का प्रभावी साबित होना, INDIA गठबंधन की उदासीनता उन्हें विधानसभा चुनाव में महंगी पड़ सकती है
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बैठक में संसदीय चुनावों के परिणामों का गहन विश्लेषण किया गया। प्रतिभागियों ने संसद में राहुल गांधी के हालिया भाषण की सराहना की और यह माना कि राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव हो रहा है, जिसका प्रभाव नरेंद्र मोदी और अमित शाह के चेहरे पर साफ दिखाई दे रहा था। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के परिणाम अपेक्षाकृत सकारात्मक रहे, लेकिन INDIA गठबंधन को मामूली अंतर के कारण कुछ सीटों पर नुकसान हुआ।

राज्य चुनावों के लिए एक व्यापक घोषणापत्र की आवश्यकता पर जोर दिया गया, जिसमें जमीनी स्तर पर काम करने की अहमियत बताई गई। चुने गए सांसदों की निष्क्रियता पर चिंता व्यक्त की गई और यह निर्णय लिया गया कि यदि वे महत्वपूर्ण मुद्दों को नहीं उठाते हैं, तो मतदाता उन उम्मीदवारों को समर्थन देंगे जो उनकी मांगों को पूरा करने का वादा करेंगे।

एक महत्वपूर्ण मुद्दा देशभर में बढ़ते लिंचिंग के मामलों का था, जिन पर संसद में पर्याप्त चर्चा नहीं हुई। बैठक ने समानता, न्याय और शांति की अपनी मूल मांगों को दोहराया और जोर दिया कि ये सिद्धांत चुनावी घोषणापत्र में मजबूती से शामिल होने चाहिए।

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बैठक ने एक स्पष्ट संदेश दिया: यदि अल्पसंख्यक समुदायों की मांगें पूरी नहीं की गईं, तो उनके वोट राजनीतिक माहौल को नाटकीय रूप से बदल सकते हैं। जैसे-जैसे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं, मतदाता यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ हैं कि उनकी आवाज सुनी जाए और न्याय, शांति और समानता की मांगों को प्राथमिकता दी जाए, जो राज्य की राजनीतिक दिशा को बदल सकती है।

इस रिपोर्ट का इंग्लिश वर्ज़न पढ़ने के लिए निचे लिंक पर क्लिक करें

Minority Votes Proven Effective, Apathy From INDIA Alliance May Cost Them In The Assembly Elections

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