सबसे प्यारा सबका प्यारा: पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम)।

Eastern Crescent
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मोहम्मद तौकीर रहमानी

लेखक ईस्टर्न क्रिसेंट के उप-संपादक और मरकज़ुल मआ़रीफ़ मुंबई में लेक्चरर हैं।

लैला और मजनू की प्रेम कहानी युवाओं और बुजुर्गों दोनों के बीच प्रिय है। यह कथा, और भी कई अन्य कथाओं की तरह, मानव जीवन में प्रेम की केंद्रीय भूमिका को उजागर करती है। प्रेम दुनिया के संचालन की बुनियाद है, यह सहानुभूति और भाईचारे को बढ़ावा देता है। माता-पिता अपने बच्चों से प्रेम करते हैं, बच्चे अपने माता-पिता से प्रेम करते हैं, पति-पत्नी एक-दूसरे से प्रेम करते हैं, और यह प्रेम समाज के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करता है।

निस्संदेह प्रेम कई संघर्षों का उपचार है। हम अक्सर अपने बुजुर्गों से इसकी परिवर्तनकारी शक्ति के बारे में कहानियाँ सुनते रहते हैं। ऐसी ही एक कहानी एक परिवार की है जो जंगल में रहता था। यह परिवार असंतुष्ट था, कि अचानक एक दिन प्रेम और धन उनके सामने प्रकट हुए और परिवार को दोनों में से एक को चुनने के लिए कहा। एक पारिवारिक बैठक के बाद, उन्होंने प्रेम को चुनने का फैसला किया, बहू के सुझाव के आधार पर। जब उन्होंने अपनी पसंद व्यक्त की, तो प्रेम ने उन्हें बताया कि प्रेम को चुनने से धन भी उनके जीवन में आ जाएगा, क्योंकि प्रेम हमेशा धन को साथ लाता है। यह कहानी परिवार में प्रेम के गहरे महत्व को दर्शाती है।

लोग अक्सर प्रेम के लिए सब कुछ त्यागने को तैयार रहते हैं, हालांकि अपने जीवन का बलिदान करना एक दुर्लभ प्रतिबद्धता है। कई लोग अपने परिवार, गाँव, या राष्ट्र के भीतर प्रिय हो सकते हैं, लेकिन एक ऐसा व्यक्तित्व है जो सभी दिलों में सबसे प्रिय है: और वह महान व्यक्ति मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) हैं। उनके जन्म से पहले ही वे जाने और प्रिय थे क्योंकि वे विशेष थे। संसार के सृष्टिकर्ता ने मानवता को उनके आने की सूचना पहले ही दे दी थी। मुहम्मद का प्रभाव इतना गहरा था कि लोग उनके लिए अपने प्रियजनों को छोड़ देते थे, और यहां तक कि उनके दुश्मन भी उनकी प्रशंसा करने पर मजबूर हो जाते थे।

उहद की लड़ाई के दौरान, हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ (रजि.अ.) बताते हैं कि उन्होंने तल्हा बिन उबैदुल्लाह (रजि.अ.) को गंभीर रूप से घायल और बेहोश देखा। होश में आने पर, तल्हा की पहली चिंता अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की भलाई के बारे में थी। यह चिंता उनके प्रति साथियों के गहरे प्रेम और सम्मान को दर्शाती है।

मुहम्मद सबसे प्रिय क्यों हैं? उन्होंने कभी झूठ नहीं बोला, कोई अनैतिक कार्य नहीं किया, और अपने नरम दिल, मिलनसार और हंसमुख स्वभाव के लिए जाने जाते थे। वे ईमानदार, सच्चे और भरोसेमंद थे, मक्का के लोगों ने उन्हें पैग़ंबर बनने से पहले ही अस-सादिक (सच्चे) और अल-अमीन (भरोसेमंद) के खिताब से नवाज़ा था। लोग उनके ईमानदारी पर विश्वास करते हुए अपनी कीमती चीजें उनके पास रखवाते देते थे। मानव इतिहास में अब तक कोई अन्य व्यक्तित्व उनके आदर्श चरित्र से मेल नहीं खा सका है।

जब पहली वह्यी (प्रकाशना) मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर उतरी, तो उन्होंने अपनी पत्नी, ख़दीजा (रजि.अ.) के साथ अपनी परेशानी साझा की। उन्होंने उन्हें आश्वस्त करते हुए उनके गुणों को उजागर किया: रिश्तेदारों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना, जरूरतमंदों की मदद करना, मेहमानों की उदारता से सेवा करना, और संकट में दूसरों की सहायता करना। ऐसे गुणों वाले प्रतिभाशाली युवा को ईश्वर कभी जाएअ़ नहीं करेगा। इन्हीं गुणों ने उन्हें सभी दिलों का सबसे प्रिय बना दिया था।

मुहम्मद के साथी उनके लिए अपने प्राणों की आहुति देते और उनके हर शब्द का पालन करते थे। उनका नैतिक चरित्र इतना ऊँचा था कि उनके दुश्मन भी, उनकी जिंदगी के बारे में पढ़ने के बाद, उनसे प्रेरित हुए बिना नहीं रह सके। एक अमरीकी फिलोस्फर माइकल हार्ट ने अपनी किताब, “The 100: A Ranking of the Most Influential Persons in History,” में, मुहम्मद को सूची में सबसे ऊपर रखा है, उनके धार्मिक और धर्मनिरपेक्ष क्षेत्रों में असाधारण सफलता का उल्लेख करते हुए। हार्ट का तर्क था कि इस्लाम पर मुहम्मद का प्रभाव यीशु के ईसाई धर्म पर प्रभाव से अधिक था, क्योंकि ईसाई धर्म के विकास का अधिकांश हिस्सा संत पॉल को श्रेय दिया जाता है।

यहां तक कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी पैगंबर मुहम्मद के प्रति अपनी गहरी प्रशंसा व्यक्त की:

“मैं उस सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को जानना चाहता था जो आज लाखों लोगों के दिलों पर निर्विवाद रूप से राज करता है… मुझे पहले से कहीं ज़्यादा यकीन हो गया कि इस्लाम के लिए उस समय जीवन की योजना में स्थान तलवार की वजह से नहीं मिला था। यह पैगंबर की कठोर सादगी, उनके पूर्ण आत्म-विसर्जन, वचनों के प्रति उनकी कठोर निष्ठा, दोस्तों और अनुयायियों के प्रति उनकी गहन भक्ति, उनकी वीरता, उनकी निर्भीकता, भगवान में उनकी पूर्ण आस्था और अपने मिशन में उनका अटूट विश्वास था। ये सब चीजें थीं, तलवार नहीं, जिन्होंने हर परेशानी को पार कर लिया और हर कठिनाई पर विजय प्राप्त की।”

— महात्मा गांधी, “यंग इंडिया, 1924-1926” (p. 276)

इस उद्धरण में गांधीजी की पैगंबर मुहम्मद के प्रति गहरी सम्मान और उनके महान गुणों और नैतिक नेतृत्व की पहचान को दर्शाया गया है।

वास्तव में पैगंबर मुहम्मद का जीवन प्रेम, ईमानदारी और अच्छे चरित्र की शक्ति का प्रमाण है। उन्होंने दुनिया पर एक अंमिट छाप छोड़ी है, और उनकी विरासत आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करती है।

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