वक्फ संशोधन बिल के विरोध में अपनी राय देने के लिए मौलाना बदरुद्दीन अजमल की जनता से अपील
इसी न्यूज डेस्क
07/09/2024
मुंबई, 7 सितंबर: “वक्फ मुसलमानों की संपत्ति है, और मुसलमान ही इसके सही रक्षक हैं। वक्फ केवल किसी संपत्ति का नाम नहीं है; यह एक इबादत और सदक़ा-ए-जारिया है, जिसका सवाब वक्फ करने वाले को मरने के बाद भी मिलता रहता है। वक्फ के ज़रिए गरीबों, अनाथों, विधवाओं और जरूरतमंदों की मदद की जाती है, और इसका इस्तेमाल स्कूल, हॉस्टल, अस्पताल, सराय, दरगाहें, मदरसे और मस्जिदों की तामीर और तरक्की के लिए होता है। वक्फ का मसला किसी एक व्यक्ति या संस्था का नहीं, बल्कि यह एक शरीअत का मामला है, और शरीअत की हिफाज़त करना हर मुसलमान की ज़िम्मेदारी है,” तीन बार के पूर्व संसद सदस्य (MP) मौलाना बदरुद्दीन अजमल, अध्यक्ष ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, अध्यक्ष जमीयत उलेमा-ए-असम, और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य ने कहा।
मौलाना अजमल ने बताया कि हाल ही में सरकार ने वक्फ संशोधन बिल 2024 को लोकसभा में पेश किया, लेकिन विपक्ष के कड़े विरोध के कारण इसे पास नहीं किया जा सका और अब इसे जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी (JPC) के पास भेजा गया है, जिसने जनता से सुझाव मांगे हैं। यह बिल वक्फ की सुरक्षा और इसके मकसद के खिलाफ है और इतना खतरनाक है कि इसके जरिए वक्फ की संपत्ति कुछ ही वर्षों में मुसलमानों की मिल्कियत से बाहर हो सकती है। इसलिए, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य मिल्ली और इंसाफपसंद संगठन सरकार से इस बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक QR कोड जारी किया है, जिससे लोग आसानी से JPC को अपनी राय भेज सकते हैं। इस कोड और लिंक को अखबारों और सोशल मीडिया पर साझा किया गया है ताकि लोगों को अपनी राय देने में आसानी हो।

मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने जनता को याद दिलाते हुए अपील की, “जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी को राय भेजने की आखिरी तारीख 13 सितंबर 2024 है, और अब सिर्फ कुछ ही दिन बचे हैं। इसलिए, मैं सभी मुसलमानों से अपील करता हूँ कि इस QR कोड के ज़रिए अपनी राय ज़रूर दर्ज कराएं। मस्जिदों में हर नमाज़ के बाद एलान हो और इसकी जानकारी हर घर तक पहुंचाई जाए।”